Mathura Me Ghumne Ki Jagah : मथुरा भारत के उत्तर प्रदेश में स्थित हिंदुओं का एक पवित्र शहर है। मथुरा भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि है। मंदिरों और सुंदर धार्मिक संरचनाओं से भरपूर, मथुरा भारत के सबसे लोकप्रिय और शांत आध्यात्मिक स्थलों में से एक है।
यहाँ की ब्रज की होली विश्व प्रसिद्ध है, जिसे देखने के लिए देश-विदेश से लोग आते हैं। यहाँ की ब्रज संस्कृति, संकीर्तन, और रासलीलाएँ हर भक्त के हृदय को छू जाती हैं। यह नगर न केवल आध्यात्मिकता का केंद्र है, बल्कि इतिहास, कला, और संस्कृति का भी अद्भुत संगम है।
चाहें श्रद्धा हो, इतिहास हो या संस्कृति – मथुरा हर किसी के लिए कुछ न कुछ खास रखता है। अगर आप भी सर्दी या गर्मी की छुट्टियों में मथुरा जाना चाहते हो तो आप बिलकुल सही जगह पर हो क्योंकि इस लेख में हम आपको मथुरा कैसे जाएँ?, मथुरा में कहा रुके?,
मथुरा में घूमने की जगह कौन -कौन सी है? (Mathura Ghumne ki Jagah), मथुरा जाने में कितना खर्चा होता है? इत्यादि चीजों के बारे में आवश्यक जानकरी देंगे, तो कृपया आप इस लेख को पूरा पढ़ें।
मथुरा में घूमने की जगह | Mathura Me Ghumne ki Jagah
मथुरा घूमने से पहले
मथुरा जाने से पहले आप उनके बारे में कुछ रोचक जानकरी पढ़े।
- मथुरा को ‘मंदिरों का शहर’ भी कहा जाता है।
- कहा जाता है कि कंस की जेल में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म यहीं हुआ था।
- मथुरा में होली अत्यंत धूमधाम से मनाई जाती है। लट्ठमार होली विश्व प्रसिद्ध है।
- मथुरा को प्राचीन भारत के 16 महाजनपदों में से एक माना जाता है।
- मथुरा में हिन्दू मंदिर के साथ साथ कई जैन मंदिर और और बौद्ध स्तूप भी पाए गए हैं।
मथुरा में घूमने की जगह (Mathura Tourist Places in Hindi)
द्वारकाधीश मंदिर (Shri Dwarkadhish Temple, Mathura)
मथुरा के सबसे पुराने और सबसे बड़े मंदिरों में से एक, द्वारकाधीश मंदिर यमुना नदी के करीब स्थित है। द्वारकाधीश मंदिर का निर्माण साल 1914 में ग्वालियर के सेठ गोकुलदास द्वारा किया गया था।
भगवान कृष्ण को समर्पित यह मंदिर मथुरा की गहरी आध्यात्मिक विरासत का प्रतीक और सांस्कृतिक उत्सव का एक जीवंत केंद्र है। इस मंदिर में कृष्ण के दिव्य कारनामों के जटिल नक्काशी और जीवंत भित्ति चित्र हैं, जो आपको मंत्र मुग्घ कर देंगी।

मथुरा जंक्शन से द्वारकाधीश मंदिर की दूरी लगभग 4 किलोमीटर है। रेलवे स्टेशन से ही आपको ई-रिक्शा मिल जाएगी, जो करीब ₹20 लेकर द्वारकाधीश मंदिर पहुंचा देगी।
इ रिक्शा आपको मंदिर से 150 -200 मीटर की दुरी पर छोड़ देगी वहीं से आपको मंदिर तक पैदल चलकर आना होगा। द्वारकाधीश मंदिर खुलने का समय सुबह 6-30 बजे से 11:00 बजे तक और शाम को 4:00 बजे से 7:30 बजे तक हैं।
श्री कृष्ण जन्म भूमि (Shri Krishna Janmasthan)
श्री कृष्ण जन्म भूमि वह जगह है, जहां पर भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। यह मथुरा का सबसे पवित्र स्थल है। मंदिर में दाखिल होते ही आपको दिव्य वातावरण का अहसास होगा। इस स्थान को कटरा केशव देव मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
यह जेल कक्ष के चारों ओर बनाया गया है। जेल कक्ष के प्रवेश द्वार के निकट, वह मंदिर है जहाँ अष्टभुजा माँ योगमाया प्रकट हुई थीं।भगवान कृष्ण की संगमरमर की मूर्ति के साथ-साथ यहाँ पर विभिन्न देवी-देवताओं के छोटे मंदिर भी हैं।

द्वारकाधीश मंदिर से श्री कृष्ण जन्मभूमि की दूरी लगभग 2 किलोमीटर है। ई-रिक्शा के जरिए मात्र 10 से ₹15 में आप जन्मभूमि पहुंच जाएंगे।
कृष्ण जन्मभूमि में आप मोबाइल कैमरा, स्मार्ट वॉच, कोई भी इलेक्ट्रिक डिवाइस, लेदर बैट, लेदर जैकेट, वॉलेट और बैग नहीं ले जा सकते। आप यह सामान लाकर में रख सकते हो।
कृष्ण जन्मभूमि 6:00 बजे से 12:00 बजे तक और शाम को 4:00 से 7:00 तक खुला रहता है। यहां पर आपको एक से डेढ़ घंटा लग सकता है।
भूतेश्वर महादेव मंदिर, मथुरा (Shri Bhuteshwar Mahadev Temple)
जैसे वृंदावन की यात्रा गोपेश्वर महादेव के बिना अधूरी है, इसी तरह मथुरा की यात्रा भूतेश्वर महादेव के बिना अधूरी है। यह बहुत ऐतिहासिक मंदिर है। शास्त्रों में भूतेश्वर महादेव का उल्लेख केदारनाथ के रूप में मिलता है।

बताया जाता है कि यह मंदिर मथुरा की रक्षा करता है। इस मंदिर में महादेव का मुख पूर्व दिशा की ओर है इस लिए यह पूर्व दिशा से व्रजभूमि की रक्षा करते है। यह मंदिर कृष्ण जन्मभूमि से मात्र 900 मीटर की दूरी पर है आप पैदल चलकर भी इस मंदिर पर आ सकते हैं।
इस मंदिर का इतिहास त्रेतायुग और द्वापरयुग से जुड़ा हुआ है। यह मंदिर सुबह 5:00 बजे से 1:00 बजे तक खुला रहता है और शाम को 4:30 बजे से रात को यह 10:30 बजे तक खुला रहता है। सोमवार के दिन यहाँ पर विशेष पूजा होती है।
पोतरा कुंड (Potra Kund, Mathura)
भूतेश्वर महादेव मंदिर से ही पोतरा कुंड की दूरी 700 मीटर है। आप पैदल चलकर भी इस जगह पर पहुंच सकते हैं। यह वही जगह है, जहां पर कृष्ण जन्म के बाद माता देवकी के गंदे वस्त्र यानी लोथरा-पोथरा धोए गए थे।
कुंड में नीचे उतरने के लिए सीढ़ियां भी बनाई गई है। लेकिन अभी कुंड में किसी को प्रवेश की अनुमति नहीं है क्योंकि इस कुंड की गहराई का कोई आज तक पता नहीं लगा पाया है। सुरक्षा के चलते कुंड के चारों तरफ बैरिकेडिंग लगाए गए है।

इस कुंड से एक खुफिया रास्ता था, जो कंस के कारागार में खुलता था लेकिन अभी उसे बंध कर दिया गया है। यह जगह बहुत ऐतिहासिक है। पोतरा कुंड के खुलने हैं और बंद होने का कोई भी समय नहीं है आप जब चाहे तब यहां आ सकते है।
कंस किला (Kans Quila)
कंस किला एक बहुत ही ऐतिहासिक जगह है, जो मथुरा के राजा कंस से जुड़ी हुई है। आज के समय में यह किला काफी जर्जरित हो गया है लेकिन फिर भी एक देखने लायक स्थल है। यहां से यमुना नदी का एक खूबसूरत व्यू देखने को मिलता है।
कंस किला एक ऐसा किला है जो हिंदू और इस्लामी स्थापत्य शैली की सुंदरता और कालातीतता का प्रमाण है। कहा जाता है कि इस प्राचीन किले में कभी एक वेधशाला थी

कृष्ण जन्मभूमि से आप ई-रिक्शा लेकर कंस किले तक पहुंच सकते हो। आपको इसके लिए लगभग ₹ 50 की लागत लग सकती है। अगर आप द्वारकाधीश मंदिर पर हो तो, वहां से करीब 500 मीटर की दूरी पर कंस किला है तो आप पैदल चलकर भी जा सकते हो।
विश्राम घाट( Vishram Ghat)
यमुना नदी के किनारे स्थित मथुरा में लगभग छोटे बड़े 25 घाट है जिनमें से विश्राम घाट सबसे महत्व पूर्ण घाट है। विश्राम घाट का शांत और भक्तिपूर्ण वातावरण मनमोहक है।
ऐसी मान्यता है की कंस का वध करने के बाद भगवान श्री कृष्ण यही पर विश्राम करने के लिए आए थे। यह वही जगह है जहां पर यमुना जी ने यमराज से वचन लिया था की जो भी यमुना जी की आराधना करेंगे उसे यमराज खुद लेने आएंगे।

विश्राम घाट में भक्त अपनी आत्मा को शुद्ध करने के लिए डुबकी लगाते हैं। कंस किला से विश्रामघाट आने का किराया ₹100 का प्रति व्यक्ति है।
यहां जाने का सबसे अच्छा समय शाम की आरती के दौरान होता है। आप घाट पर नाव की सवारी करके मंदिर के सुंदर दृश्य का आनंद भी ले सकते हैं।
चामुंडा देवी मंदिर, मथुरा (Chamunda Mata Mandir)
चामुंडा देवी मंदिर एक प्राचीन मंदिर है। यहाँ नवरात्री के दौरान यहाँ पर भक्तों की काफी भीड़ रहती है। यह महत्वपूर्ण 51 शक्ति पीठ में से एक है। इस मंदिर का उल्लेख श्रीमद् भागवत गीता में भी किया गया है।
मां चामुंडा देवी को नंद बाबा की कुलदेवी माना जाता है। यह मंदिर जिस स्थान पर बना है कहा जाता है कि इसी स्थान पर शांडिल्य ऋषि ने तप किया था।

इस मंदिर की विशेष बात यह है कि इस मंदिर में मां चामुंडा देवी की कोई प्रतिमा नहीं है बल्कि मां स्वयं इस मंदिर में प्रकट होती है ऐसी धारणा और आस्था लोगों में है। हर एक रविवार और नवरात्रि की अष्टमी और नवमी को यहां पर भारी मात्रा में भक्त जमा होते हैं।
तिलक द्वार (Tilak Dwar)
अगर आप मथुरा में स्थानीय जीवन का अनुभव लेना चाहते हैं तो तिलक द्वार की मुलाकात अवश्य ले। तिलक द्वार मथुरा का विशाल बाज़ार है। तिलक द्वार, प्रवेश द्वार जिसे आध्यात्मिक प्रवेश द्वार माना जाता है।

यहाँ पर आपको कला, मूर्ति और स्थानीय मिठाई से जुडी विभिन्न प्रकार की दुकानें मिल जाएँगी। तिलक द्वार सुबह 11 बजे से रात 9 बजे तक खुला रहता है।
मथुरा संग्रहालय (Government Museum, Mathura)
मथुरा संग्रहालय को साल 1874 में बनाया गया था। इस संग्रहालय में मथुरा और इसके आसपास क्षेत्रों की प्राचीन अतीत की मूर्तियों, मिट्टी के बर्तनों, चित्रों, कलाकृतियों, सिक्कों (सोने, चांदी और तांबे में) और बहुत कुछ का एक बड़ा संग्रह है।

अगर आप कला क्षेत्र में रूचि रखते हो तो आप यहाँ एक बार मुलाकात अवश्य लें। मथुरा संग्रहालय सुबह 10.30 बजे से शाम 4.30 बजे तक खुला रहता है। सोमवार, दूसरे शनिवार और राष्ट्रीय छुट्टियों के दौरान यह संग्रहालय बंद रहता है।
जयगुरुदेव मंदिर, मथुरा (Baba Jai Guru Dev Mandir)
मथुरा के सबसे खूबसूरत मंदिरों में से एक, बाबा जयगुरुदेव मंदिर है। यह मंदिर संरचना अपने रंग और भव्यता के कारण ताज महल जैसा दिखता है।

यह मंदिर जयगुरुदेव बाबा की स्मृति में बनाया गया है। मंदिर के परिसर में ध्यान केंद्र, भोजनशाला, और पर्यटकों के लिए विश्राम स्थल जैसी सुविधाएं मौजूद है।
शाही जामा मस्जिद (Shahi Jama Masjid)
श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर से लगभग 1 किमी दूर शाही जामा मस्जिद है। शाही जामा मस्जिद एक ऐतिहासिक मस्जिद है, जिसे सम्राट औरंगजेब द्वारा 1661 में बनवाई गई थी। मस्जिद में मुगल गवर्नर की कब्र है।

यह मस्जिद भी मथुरा में देखने लायक स्थल में से एक है। शाही जामा मस्जिद को आप सुबह 5:00 बजे से रात 9:00 बजे तक किसी भी समय पर देख सकते है।
बिरला मंदिर (Mathura Birla Mandir)
वृंदावन-मथुरा रोड पर बिरला मंदिर स्थित है, जिसे गीता मंदिर भी कहा जाता है। उद्योगपति जे.के. बिड़ला द्वारा 1946 में निर्मित गीता मंदिर भगवान लक्ष्मी नारायण की पूजा करने वाला एक पवित्र हिंदू मंदिर है।
मंदिर परिसर में एक विशाल क्षेत्र है। मंदिर की कई मूर्तियां हिंदू पौराणिक कथाओं की कहानियों को फिर से बताती हैं। आप मंदिर परिसर के अंदर एक सुंदर रथ भी देख सकते हैं। मंदिर का वातावरण शांतिपूर्ण है।
इसकी सबसे खास विशेषता इसकी संगमरमर की दीवारों पर अंकित संपूर्ण भगवद गीता है, जो आध्यात्मिकता और कलात्मकता का मिश्रण है। यह मंदिर सुबह 5:00 बजे – दोपहर 12:00 बजे और शाम 4:00 बजे – रात 9:00 बजे तक खुला रहता है और इसमें प्रवेश निःशुल्क है।
रंगभूमि (Rangbhoomi)
मथुरा में रंगभूमि एक ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण स्थल है, जिसके बारे में माना जाता है कि यह वह स्थान है जहाँ भगवान कृष्ण ने अपने मामा कंस को कुश्ती में हराया था।
यह मुख्य डाकघर के सामने स्थित है और कई हिंदुओं के लिए पूजा स्थल है। यह क्षेत्र मौर्य साम्राज्य से भी जुड़ा हुआ है और यहाँ कुछ बौद्ध शैली की संरचनाएँ हैं
महर्षि दुर्वासा की तपोस्थली (Shri Durwasa Rishi Ashram, Mathura)
कहा जाता है कि इसी जगह पर दुर्वासा ऋषिने लगभग 10000 साल तक तपस्या की थी। यहाँ पर गोपियाँ उनके लिए खाना लेकर आती थी। पुरे भारत में कहीं पर भी दुर्वासा ऋषि का मंदिर नहीं है।
यहाँ पर कालिन्दी कृष्ण मिलन मंदिर है। यह दुनिया का एकमात्र मंदिर है जहां पर भगवान श्रीकृष्ण और यमुना जी की एक साथ प्रतिमा है। यहाँ पर शनिदेव और धर्मराज का मंदिर भी है।
कोकिलावन मंदिर (Kokilavan Shani Mandir)
कोकिलावन धाम भगवान श्रीकृष्ण और शनिदेव से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि भगवान शनि देव ने यहां आकर श्रीकृष्ण के बालरूप (कन्हैया जी) का दर्शन किया था और तभी से इस स्थान को अत्यंत पवित्र माना जाता है।

“कोकिलावन” नाम इसलिए पड़ा क्योंकि यह क्षेत्र पहले कोयलों की मधुर आवाज (कोकिल) से गूंजता रहता था। यहाँ पर भद्रकाली माता का मंदिर है और एक प्राचीन कुंड भी है,जहाँप र आप स्नान कर सकते हो।
दाऊजी या बलराम मंदिर ( Baldeo Dauji Temple)
दाऊजी या बलराम मंदिर भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम को समर्पित है। बलराम का दूसरा नाम दाऊजी था। इस मंदिर के बारे में ऐसे मान्यता है की अगर कोई भी व्यक्ति छलकपट के साथ मंदिर की ओर बढ़ता है उसे कभी इस मंदिर के दर्शन नहीं होते।
मथुरा से लगभग 18 किलोमीटर दूर इस मंदिर का निर्माण साल 1535 में किया गया था। यह शहर के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। मुख्य गर्भगृह के अंदर, दीवारों पर सुंदर कलाकृतियाँ और साथ ही भगवान बलराम और उनकी पत्नी रेवती की सुसज्जित मूर्तियाँ प्रदर्शित हैं।

कहा जाता है कि ब्रज के राजा दाऊजी महाराज है। यहां होली खेलने की परंपरा भी अनोखी है। इसे होली नहीं, बल्कि हुरंगा कहा जाता है। दाऊजी मंदिर (बलदेव) के पास “क्षीर सागर कुंड” स्थित है, जिसे बलभद्र कुंड भी कहा जाता है।
मथुरा के प्रसिद्ध और स्थानीय भोजन
मथुरा एक धार्मिक स्थल है। इसलिए यहाँ पर शुद्ध और सात्विक भोजन मिलता है। ज्यादातर यहाँ पर दूध से बनाई गई चीज़ें मिलती है। आप मथुरा घूमने आते हो तो मथुरा के प्रसिद्ध और स्थानीय भोजन का आनंद अवश्य लीजिये।
पेड़ा : मथुरा का पेड़ा भारतभर में प्रसिद्ध है। इसे खोया (मावा) और चीनी से बनाया जाता है।
कचौड़ी और आलू की सब्जी : मथुरा का मुख्य नास्ता गर्मागर्म कचौड़ी के साथ मसालेदार आलू की सब्जी है। इसे देसी घी में तैयार किया जाता है।
खीर मोहन : खीर मोहन रसगुल्ले की तरह दिखने वाली एक मिठाई है, जिसे गाढ़ा दूध और खोया का उपयोग करके बनाया जाता है।
इसके अलावा आप यहाँ की ठंडाई, लस्सी, बटर मिल्क (छाछ), रबड़ी और मालपुआ का भी एक बार जरूर स्वाद लिजिए।
सुबह के नाश्ते में पूड़ी और मसालेदार काले चने की सब्जी और नरम, स्वादिष्ट और मसालेदार दही बड़े का आनंद लेना एक खास अनुभव है।
मथुरा घूमने का सही समय (Best Time To Visit Mathura)
मथुरा भारत का एक धार्मिक स्थल है इसलिए यह पूरे साल खुला रहता है। यहाँ पर हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते है। मथुरा जाने का सबसे अच्छा समय मौसम और त्यौहारों पर निर्भर करता है।
यदि आप मथुरा त्यौहार के दिन जैसे की जन्माष्टमी, होली, दीपावली पर आना चाहते हो तो, आपको यहाँ पर भीड़ का सामना करना पड़ेगा।
मथुरा घूमने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च है। इन दिनों में यहाँ पर सर्दियों का मौसम होता है। तापमान 10°C से 25°C तक रहता है। इस समय मौसम सुखद और ठंडा रहता है।
मथुरा में गर्मी के दौरान (अप्रैल से जून) तापमान 40°C से 45°C के बीच में रहता है। यहाँ पर हवाएं सूखी और गर्म होती है। अगर आप गर्मी के दौरान मथुरा यात्रा कर रहे हो तो सनस्क्रीन, टोपी, और छाता साथ जरूर रखें।
जुलाई से सितंबर महीने में यहाँ पर मानसून का सीजन होता है। बारिश के कारण यहाँ पर आपको मथुरा घूमने में दिक्कत हो सकती है।
मथुरा में रुकने की जगह
मथुरा शहर धार्मिक और पर्यटक दृष्टि से लोकप्रिय है। हर साल यहाँ पर लाखों भक्त दर्शन के लिए आते है। इसलिए यहां ठहरने की सुविधाएं काफी अच्छी हैं।
यहाँ पर रुकने के लिए आपको हर प्रकार के बजट और सुविधा के अनुरूप होटल, गेस्ट हाउस और धर्मशालाएँ मिल जाएँगी।
नंदीश्वर रिसॉर्ट, बृजवासी रॉयल होटल, होटल गोकुलम ग्रैंड, होटल हेवन कन्या कुटीर, कृष्णा इंटरनेशनल बजट फ्रेंडली होटल्स और गेस्ट हाउस हैं। यहाँ पर आपको आधुनिक सुविधाएंवाले आरामदायक कमरे मिल जायेंगे।
रामकृष्ण मिशन आश्रम, वैष्णव सेवा आश्रम, गायत्री परिवार धर्मशाला, श्री कृष्ण जन्मभूमि के पास धर्मशालाएँ और आश्रम हैं, जो किफायती और सुरक्षित होते हैं।
अगर आप किसी भी त्यौहार में यहाँ पर घूमने के लिए आ रहे हो तो, आप पहले से रुकने की जगह के लिए बुकिंग करवा लीजिए वरना आपको दिक्कत आ सकती है।
मथुरा में कैसे घूमें?
मथुरा एक धार्मिक स्थल होने के कारण यहाँ पर मंदिर और घाटों की संख्या ज्यादा है। मथुरा में कई घूमने की जगह पास पास है आप वह पर पैदल ही घूम सकते हो।
शहर के भीतर यात्रा के लिए ऑटो और ई-रिक्शा सबसे सुविधाजनक साधन हैं। छोटे रास्तों और भीड़भाड़ वाले इलाकों में साइकिल रिक्शा के जरिये भी घूम सकते हो। ओला/उबर या स्थानीय कैब की सेवा भी मथुरा घूमने के लिए उपलब्ध हैं।
मथुरा कैसे जाएं?
भगवानश्री कृष्ण का जन्म स्थल मथुरा भारत का एक धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल है। यहाँ हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने के लिए भारत के कोने कोने से आते है।
मथुरा आने के लिए रेलमार्ग, रोड मार्ग और हवाई मार्ग में से कोई भी विकल्प अपने बजट और समय के हिसाब से पसंद कर सकते हो।
रेलमार्ग से मथुरा कैसे जाएँ?
मथुरा आने के लिए रेलमार्ग सबसे सस्ता और आसान तरीका है। मथुरा जंक्शन (MTJ) भारत के प्रमुख रेलवे स्टेशनों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
मथुरा आने के लिए आपको दिल्ली, आगरा, कोलकाता, मुंबई, जयपुर जैसे भारत के बड़े शहरों से सीधी ट्रैन मिल जाएँगी। आप IRCTC की वेबसाइट या किसी अन्य ट्रेन बुकिंग प्लेटफॉर्म से टिकट बुक कर सकते हैं।
सड़क मार्ग से मथुरा कैसे जाएँ?
अगर आप सड़क मार्ग से मथुरा जाना चाहते हो तो मथुरा के लिए उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन (UPSRTC) की बस सेवाएं उपलब्ध हैं। दिल्ली, आगरा और जयपुर जैसे शहरों से नियमित बसें चलती हैं।
आप अपनी कार और टैक्सी के द्वारा यमुना एक्सप्रेसवे या राष्ट्रीय राजमार्ग-19 के जरिये मथुरा पहुंच सकते हो।
हवाई मार्ग से मथुरा कैसे जाएँ?
मथुरा में कोई भी एयरपोर्ट नही है। अगर आप हवाई मार्ग के जरिये मथुरा पहुँचना चाहते हो, तो आगरा एयरपोर्ट (55 किमी) और
दिल्ली का इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (145 किमी) के लिए आप फ्लाइट ले सकते हो।
अगर आप आगरा एयरपोर्ट पर उतरते हो तो, आपको मथुरा जाने के लिए आगरा से बस या टैक्सी मिल जाएगी, जो आपको 1 घंटे में मथुरा पंहुचा देगी।
अगर आप दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा पर उतरते हो तो, आपको मथुरा जाने के लिए लगभग 2.5 से 3 घंटे लग सकते है। आप दिल्ली से मथुरा पहुँचने के लिए कार, बाइक, टैक्सी और बस में से कोई भी विकल्प पसंद करके मथुरा पंहुच सकते हो।
मथुरा घूमने में कितना खर्च आएगा?
मथुरा में घूमने का ख़र्चा आपकी लोकेशन, आपके रुकने की जगह और आप कितने दिन वहां रुकते हो और आपके खाने का खर्चा इन सब बातों पर निर्भर करता है।
अगर आप बस या ट्रैन से अपने शहर से मथुरा जा रहे हो तो, आपका खर्चा काफी कम हो सकता है और अगर आप धर्मशाला या फिर किसी सामान्य गेस्ट हाउस में रुकते हो तो आप कम पैसे में भी मथुरा घूम सकते हो।
मथुरा घूमने का कुल अनुमानित खर्च बजट यात्रा के लिए ₹3000-₹6000 प्रति व्यक्ति (2-3 दिन के लिए), मध्यम बजट यात्रा के लिए ₹6000-₹10,000 प्रति व्यक्ति, और लक्ज़री यात्रा के लिए ₹10,000+ प्रति व्यक्ति हो सकता है।
मथुरा घूमने के लिए साथ में क्या रखें?
मथुरा एक धार्मिक स्थल है इसलिए आप अपने पास पूजा की सामग्री अवश्य रखें। इसके अलावा निम्नलिखित साधन साम्रगी अपने पास अवश्य रखें ताकि आपकी यात्रा सुखदमय साबित हो।
- अगर आप मथुरा में किसी होटल या धर्मशाला में रुके है, तो होटल बुकिंग की रसीद अपने पास जरुर रखें।
- कोई पहचान पत्र आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस भी अपने पास जरुर रखें।
- पूजा सामग्री जैसे अगरबत्ती, फूल, नारियल, या प्रसाद। (हालांकि ये स्थानीय दुकानों पर आसानी से मिल जाते हैं)।
- मथुरा में घाट और मंदिरों तक जाने के लिए चलना पड़ता है, इसलिए आरामदायक और मजबूत जूते पहनें।
- यात्रा के दौरान हाइड्रेटेड रहने के लिए पानी की बोतल रखें।
- छोटे मंदिरों और दुकानों पर डिजिटल पेमेंट का विकल्प नहीं हो सकता, इसलिए थोड़ा कैश साथ रखें।
- किसी भी आपात स्थिति के लिए अपने साथ दवाइयां रखें ( खासतौर पर सिरदर्द, पेट दर्द या एलर्जी की दवाइयां)
- यादें संजोने के लिए कैमरा या मोबाइल जरूर साथ रखें। पावर बैंक भी साथ रखें ताकि बैटरी खत्म न हो।
FAQ
मथुरा इतना प्रसिद्ध क्यों है?
मथुरा हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए भारत के सात पवित्र तीर्थ स्थलों (सप्त पुरी) में से एक माना जाता है क्योंकि यह पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान कृष्ण का जन्मस्थान है। यहाँ श्री कृष्ण जन्मस्थान मंदिर परिसर की जेल में भगवान का जन्म हुआ था।
मथुरा में आप विश्राम घाट पर नाव की सवारी का आनंद लें, कुसुम सरोवर में पवित्र स्नान करें, मथुरा संग्रहालय जाएँ, कंस किला के खंडहरों को देखें और छत्ता बाज़ार, तिलक द्वार और कृष्णा नगर बाज़ार जैसे स्थानीय बाज़ारों में खरीदारी करें।
मथुरा में जब भी जाएं, तो बृजवासी मिठाई वाला में शहर के मशहूर ‘पेड़े’ का स्वाद लेना न भूलें। मथुरा में नाश्ते में कचौरी-जलेबी और चाट भी ज़रूर चखें।
अक्टूबर से मार्च तक का समय मथुरा घूमने के लिए सबसे उपयुक्त होता है। इस दौरान मौसम ठंडा और सुहावना होता है। होली और जन्माष्टमी के समय यहां विशेष उत्सव होते हैं।
मथुरा से वृंदावन की सड़क मार्ग से दूरी 15 किलोमीटर है। आप ऑटो, टैक्सी या लोकल बस से आसानी से जा सकते हैं।
निष्कर्ष
मथुरा एक धार्मिक, आध्यात्मिक और ऐतिहासिक जगह है, जहां पूरे साल भक्तों का मेला लगा हुआ रहता है। इस आर्टिकल में हमने आपको मथुरा में घूमने की जगह ( Mathura Me Ghumne ki Jagah), मथुरा की यात्रा से जुड़ी कई आवश्यक सभी जानकरी डिटेल में बताई है। आशा करते है की यह आर्टिकल आपको मथुरा की यात्रा करने में मददगार साबित होगा।
अगर आप के पास इस आर्टिकल के सम्बंधित कोई भी सुझाव हो तो हमें कमेंट करके जरुर बताएं। हम उसे जल्द की अपडेट करेंगे। आर्टिकल पसंद आया हो तो उसे अपने सोशल मीडिया पर शेयर जरूर करें ताकि मथुरा जाने वालों को यह आर्टिकल उपयोगी हो सके।
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