15+रानीखेत में घूमने की प्रसिद्ध जगह और दर्शनीय स्थल

Ranikhet Me Ghumne Ki Jagah : रानीखेत उत्तराखंड का एक प्राचीन हिल स्टेशन है। रानीखेत भारतीय सेना के कुमाऊं रेजिमेंट के मुख्यालय भी है। 1,869 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस हिल स्टेशन को अंग्रेजो द्वारा बनाया गया था।

कहा जाता है की रानी पद्मिनी यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता से इतनी प्रसन्न हुई थी कि राजा सुधारदेव ने उनके लिए यहां एक महल बनवाया और इस स्थान का नाम रानीखेत रखा। बाद मेंअंग्रेजो ने महल तोड़कर यहाँ पर अपनी छावनी स्थापित की थी।

Ranikhet Ghumne Ki Jagah
Image: Ranikhet Ghumne Ki Jagah

रानीखेत अपने शांत वातावरण और मनमोहक दृश्यों के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ पर पहुंचने के बाद आप अपने आप को प्रकृति की गोद में पाएंगे। रानीखेत से थोड़ा दूर एक छोटा सा गांव मजखाली से नंदा देवी का साफ और बड़ा दृश्य देखने को मिलता है।

अगर आप भी गर्मी या सर्दियों की छुट्टियों में हिल स्टेशन रानीखेत में घूमने के लिए जाना चाहते हो तो आप बिलकुल सही जगह पर हो। इस आर्टिकल में हम आपको रानीखेत में घूमने की प्रसिद्ध जगह और दर्शनीय स्थल के बारे में विस्तारपूर्वक माहिति प्रदान करेंगे।

साथ साथ हम आपको बताएँगे की रानीखेत कब जाना चाहिए?, कैसे जाना चाहिए?, रानीखेत घूमने में कितना खर्चा लगेगा और वहा पर कहा रुकेंगे?, रानीखेत जाकर आप कौन सी एक्टिविटी कर सकते हो? तो आर्टिकल के अंत तक बने रहे।

रानीखेत में घूमने की जगह | Places To Visit In Ranikhet In Hindi

Table of Contents

रानीखेत घूमने से पहले

रानीखेत जाने से पहले आप उनके बारे में कुछ रोचक जानकरी पढ़ें।

  • अल्मोड़ा जिले की कुमाऊं पहाड़ियों से घिरा रानीखेत में गर्मियों में यहाँ का तापमान 8°C से 22°C के बीच रहता है।
  • 1869 में अंग्रेजों ने रानीखेत को अपना ग्रीष्मकालीन मुख्यालय बनाया था।
  • यहां उद्योग या फैक्ट्री नहीं बनी, क्योंकि प्रदूषण बहुत कम है।
  • रानीखेत के पास एशिया के सबसे बड़े और सबसे पुराने गोल्फ कोर्स में से एक है।
  • मार्च-अप्रैल में यहां बुरांश के फूल खिलते हैं, जो पूरे रानीखेत को लाल रंग से रंग देते हैं। स्थानीय लोग बुरांश का जूस बनाते हैं, जो हृदय और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए फ़ायदेमंद मन जाता है।
  • रानीखेत में स्थानीय हाथों से बने हुए अंगोरा ऊन के स्वेटर, शॉल और हाथ से बुने हुए कालीन प्रसिद्ध हैं।
  • स्थानीय कहानियाँ के मुताबिक़ रानीखेत के कुछ पुराने ब्रिटिश काल के बंगलों में भूत-प्रेत की कहानियाँ भी मशहूर हैं, ख़ास सर्दियाँ के दौरन जब पूरा इलाका कोहरे (कोहरे) से ढक जाता है।

रानीखेत के दर्शनीय स्थल और घूमने की जगह (Tourist Places in Ranikhet in Hindi)

झूला देवी मंदिर (Jhula Devi Temple)

झूला देवी मंदिर 8वीं शताब्दी का एक प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर रानीखेत से 7 किमी की दूरी पर चौबटिया के पास स्थित है। झूला देवी मंदिर देवी दुर्गा माता को समर्पित है। वह एक झूले (झूला) पर बैठी हैं, इसलिए उन्हें झूला देवी नाम दिया गया है।

कहा जाता है कि इस क्षेत्र में जंगली जानवर का बहुत आतंक था और स्थानीय लोग उनसे बचने के लिए माता दुर्गा की पूजा किया करते थे। एक दिन एक ग्वाले को सपने में माता दुर्गा ने दर्शन दिए और और उन्हें एक विशेष स्थान पर खुदाई करने का निर्देश दिया।

जहां से उसे माता दुर्गा की मूर्ति प्राप्त हुई। इस मूर्ति को झूले पर स्थापित करके पूजा अर्चना की गई और तभी से यह स्थान झूला देवी मंदिर कहलाने लगा।

Jhula Devi Temple Ranikhet
Image: Jhula Devi Temple Ranikhet

इस मंदिर में हर जगह पर आपको घंटियाँ देखने को मिलेगी। ऐसा कहा जाता है कि लोग अपनी मनोकामना पूरी हो जाने पर देवी देवता के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करने के लिए इस मंदिर में घंटी बांधते है।

यह एक छोटा सा मंदिर है जिसकी देखरेख अधिकतर सेना द्वारा की जाती है। इस मंदिर की मुलाकात अवश्य लीजिए। वहां मनोकामना करने के लिए एक घंटी लें।

रानी झील (Rani Jheel)

रानी झील एक मानवनिर्मित झील है। इस झील का निर्माण इंडियन आर्मी कैंटोनमेंट बोर्ड ने वर्षा जल संचयन के उद्देश्य से बनाया था। रानीखेत के मुख्य बाजार से रानी झील की दुरी लगभग 3 किलोमीटर है।

Rani Jheel
Image: Rani Jheel

आप यहाँ पर पैदल और टेक्सी से माध्यम से वहां पहुंच सकते हो। रानी झील में आप बोटिंग का आनंद ले सकते है या फिर उनके किनारे पर बैठकर प्रकृति और शांत वातावरण का लुप्त उठा सकते है।

मनकामेश्वर मंदिर ( Mankameshwar Temple)

मनकामेश्वर मंदिर का निर्माण कुमाऊं रेजिमेंट द्वारा किया गया है। मंदिर के अंदर राधा-कृष्ण, मां कालिका और भगवान शिव की मूर्तियां हैं।

Mankameshwar Temple
Image: Mankameshwar Temple

यह मंदिर एक चोटी पर स्थित है। यह मंदिर गोल्फ कोर्स मैदान के रास्ते में आता है। यह मंदिर में आप लगभग 30 मिनट जितना समय बिता सकते है। कुछ लोग इसे मनीला मंदिर कहते है।

यह मंदिर भारतीय सेना की देखरेख में है और फोटोग्राफी की अनुमति नहीं है।

द्वाराहाट (Dwarahat)

स्थानीय भाषा में द्वाराहाट का अर्थ है “स्वर्ग का रास्ता”। द्वाराहाट में सैकड़ों मंदिर चारों ओर फैले हुए हैं। 11वीं सदी के प्राचीन मंदिर अवश्य देखने लायक हैं।

Dwarahat
Image: Dwarahat

द्वाराहाट में ठहरने का कोई विकल्प नहीं है, लेकिन लोग रानीखेत या कौसानी में रुक सकते हैं जो पास के शहर हैं। द्वाराहाट गांव प्राकृतिक सुंदरता से भरपुर है।

हैदाखान बाबाजी मंदिर ( Haidakhan Babaji Temple)

हैदाखान बाबाजी मंदिर तक जाने का रास्ता देवदार के पेड़ों के बीच से होकर गुजरता है। यह स्थान बहुत शांत है। यहां मुश्किल से ही कोई लोग आते हैं और मंदिर से हिमालय का दृश्य मन को झकझोर देने वाला है।

Haidakhan Babaji Temple Ranikhet
Image: Haidakhan Babaji Temple Ranikhet

जहां तक ​​मंदिर की बात है तो इसका कोई धार्मिक इतिहास नहीं है। यह उस व्यक्ति को समर्पित है जिसने इसे स्थापित किया है।

कटारमल सूर्य मंदिर (Katarmal Sun Temple)

सूर्य मंदिर कटारमल एक खूबसूरत पहाड़ी की चोटी पर समुद्र तल से 2116 मीटर की ऊंचाई पर कोसी गांव (1.5 किमी) के पास अल्मोडा बागेश्वर रोड पर अल्मोड़ा (12 किमी) के पास कटारमल गांव में स्थित है।

रास्ते में और मंदिर परिसर में कोई दुकान नहीं है। एक बार जब आप मंदिर परिसर में पहुंचेंगे, तो आपको चारों ओर दिव्यता और आध्यात्मिकता का एहसास होगा। सूर्य मंदिर होने के कारण सूर्य की पहली किरण मुख्य मंदिर के अंदर स्थित शिवलिंग पर पड़ती है।

Katarmal Temple
Image: Katarmal Temple

कटारमल सूर्य मंदिर पत्थर पर आधारित है और इसका निर्माण 9वीं शताब्दी में कत्यूरी राजा कटारमल ने चूने और दाल के पेस्ट के मिश्रण से करवाया था। मुख्य मंदिर के चारों ओर छोटे-छोटे समूहों में 45 लघु मंदिर हैं, जिनका निर्माण अलग-अलग समय में किया गया लगता है।

10वीं शताब्दी की एक मूर्ति चोरी हो जाने के बाद, मुख्य मंदिर के नक्काशीदार लकड़ी के दरवाजे और पैनल राष्ट्रीय संग्रहालय, दिल्ली में ले जाए गए थे।

चौबटिया बाग (Chaubatia Garden)

‘चौबटिया’ शब्द का शाब्दिक अर्थ चार रास्तों का एक सामान्य मिलन बिंदु। रानीखेत से लगभग 10 किलोमीटर की दुरी पर है। यहां कार या निजी टैक्सी से आसानी से पहुंचा जा सकता है।

चौबटिया गार्डन एशिया का सबसे बड़ा सेवों का बगीचा भी है। अपने हरे-भरे सेब के बगीचों के साथ-साथ चौबटिया बाग खुबानी, प्लम और आड़ू जैसे अन्य फलों के पेड़ों के लिए प्रसिद्ध है।

चौबटिया गार्डन की स्थापना ब्रिटिश काल के दौरान हुई थी और अब यह भारतीय सेना के आधीन है। चौबटिया बाग से नंदा देवी, नीलकंठ, नंदाघुंटी और त्रिशूल की पर्वत की चोटियां भी दिखाई पड़ती है।

Chaubatia Garden
Image: Chaubatia Garden

वनस्पति विज्ञानियों और प्रकृति प्रेमियों के लिए यह एक सर्वोत्तम स्थान है। आप यहाँ पर प्रकृति का आनद ले सकते हो साथ साथ फोटोग्राफी भी कर सकते हो। चौबटिया गार्डन से शहद, फल और जूस लेना न भूलें।

रानीखेत गोल्फ कोर्स (Ranikhet Golf Course)

रानीखेत गोल्फ कोर्स एशिया का दूसरा सबसे बड़ा गोल्फ ग्राउंड है। चील के पेड़ से घेरे जंगल के बीचों बीच स्थित यह गोल्फ कोर्स रानीखेत अल्मोड़ा रोड से 6 किलोमीटर की दुरी पर है।

Ranikhet Golf Course
Image: Ranikhet Golf Course

यह गोल्फ़ ग्राउंड 12 से 2 बजे तक नागरिकों के लिए आंशिक रूप से खुला रहता है। कोने में एक गोल्फ़ टी पॉइंट नंबर 14 क्षेत्र है जहाँ आप शानदार तस्वीरें ले सकते हैं और साथ ही वहाँ एक पार्क बेंच है जहाँ आप बैठकर प्रकृति की पवित्रता का आनंद ले सकते हैं।

इस जगह पर प्रवेश निःशुल्क है और सड़क के किनारे पार्किंग निःशुल्क है। यहाँ पर खाने पीने की कोई खास व्यवस्था नहीं है इसलिए कृपया खाने पीने का सामान साथ रखें।

आशियाना पार्क (Ashiyana Park)

आशियाना पार्क मुख्य बाजार से लगभग 1.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह पार्क जंगल थीम पर आधारित है और इसमें डायनासोर, हाथी, जिराफ़ आदि की प्रतिकृतियाँ हैं।

स्लाइड, स्लिंग, मैरी गो राउंड और ट्यूब आदि खेल के मैदान के उपकरण बच्चों के लिए मुख्य आकर्षण हैं। साथ साथ यहाँ पर अच्छी तरह से बनाए गए लॉन, हर्बल गार्डन और फव्वारे भी पर्यटक के लिए मुख्य आकर्षण है।

Ashiyana Park
Image: Ashiyana Park

आपको इस पार्क में छोटी पैडल वाली पानी की नावें और जंपिंग एयर बैलून जैसे विकल्प भी मिलेंगे। प्रवेश शुल्क ₹10 प्रति व्यक्ति है। 7 साल तक के बच्चों के लिए पार्क में प्रवेश निःशुल्क है।

बिनसर महादेव मंदिर (Binsar Mahadev Temple)

देवदार और बरगद के पेड़ों के बीच बना यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन हिंदू मंदिर है।

Binsar Mahadev Temple
Image: Binsar Mahadev Temple

मंदिर के आस-पास किलोमीटरों तक कोई दुकान या रेस्टोरेंट नहीं है।

भालू डैम (Bhalu Dam)

Bhalu Dam Ranikhet
Image: Bhalu Dam Ranikhet

कुमाऊं रेजिमेंटल सेंटर संग्रहालय (Kumaon Regimental Center (KRC) Museum)

राम मंदिर रानीखेत (Ram Mandir)

सनसेट पॉइंट (Sunset Point)

कलिका मंदिर (Kalika Temple)

Kalika Temple
Image: Kalika Temple

मजखाली (Majkhali)

रानीखेत में मजखाली शहर 12 किलोमीटर दूर सड़क मार्ग से स्थित एक छोटा सा गांव है। यह गांव अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण काफी मशहूर है। मजखाली को अक्सर उत्तराखंड का कश्मीर कहा जाता है।

आप यहाँ से त्रिशूल पर्वत और नंदा देवी पर्वत के मनमोहक दृश्य देख सकते है और ट्रेकिंग भी कर सकते है। इस जगह पर एक वन नर्सरी भी है, जिसमें कई प्रजातियाँ पाई जाती हैं।

Majkhali
Image: Majkhali

इसके आस-पास कई पिकनिक स्पॉट हैं। यहाँ पर काली माता का एक लोकप्रिय मंदिर है। मजखाली पहुँचने के लिए आपको रानीखेत से आसानी से शेयर्ड और प्राइवेट टैक्सी का विकल्प मिल जाएंगे।

अगर आप प्रकृति की गोद में कुछ समय बिताना चाहते हो तो यहाँ पर आपको ठहरने के विकल्प भी मिल जायेंगे। साधारण और सस्ते रेस्तरां से लेकर फैंसी और शानदार होटल भी मिल जाएंगे।

ताड़ीखेत गांव (Tarikhet Village)

ताड़ीखेत रानीखेत से लगभग 8 किलोमीटर दूर एक छोटा सा गांव है। यह प्रकृति प्रेमियों के लिए एक अच्छी जगह है। एक छोटा सा गाँव होने के कारण यहाँ रहने के लिए बड़े आवास नहीं हैं, बल्कि सीमित गेस्ट हाउस हैं।

यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन का केंद्र माना जाता है। ताड़ीखेत में प्रसिद्ध गांधी कुटी है, जहाँ महात्मा गांधी एक बार स्वतंत्रता संग्राम के दौरान आए थे।

यहाँ पर इसके अलावा कुमाऊँ क्षेत्र में पूजे जाने वाले गोलू देवता का लोकप्रिय मंदिर भी है।

शीतलाखेत (Sitlakhet)

रानीखेत में लोकप्रिय स्थानीय भोजन

रानीखेत घूमने का सही समय (Best Time To Visit Ranikhet)

मार्च से जून के बीच रानीखेत में गर्मियों का मौसम रहता है, जो यहाँ घूमने का सबसे आदर्श समय माना जाता है। इस दौरान तापमान लगभग 10°C से 27°C के बीच रहता है, जिससे मौसम न ज्यादा ठंडा होता है और न ही गर्म ।

इस मौसम में रानीखेत की हरी-भरी वादियाँ, फूलों से सजी घाटियाँ, और हिमालय की बर्फीली चोटियाँ एक मनमोहक दृश्य पेश करती हैं, जो हर प्रकृति प्रेमी का दिल जीत लेती हैं। यह समय ट्रैकिंग, पिकनिक और प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने के लिए बिल्कुल उपयुक्त है।

जुलाई से अगस्त के बीच रानीखेत में मानसून का मौसम होता है, जब यहां पर भारी बारिश देखने को मिलती है।
इस दौरान मौसम भले ही हरा-भरा और ताजगी से भरपूर होता है, लेकिन लगातार बारिश और फिसलन भरे रास्तों के कारण यात्रा करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है।

बारिश के कारण भूस्खलन की संभावना भी बढ़ जाती है, जिससे ट्रैफिक जाम और रास्तों के बंद होने जैसी समस्याएं सामने आ सकती हैं।

सितंबर से नवंबर मानसून के बाद का समय है, जब चारों ओर हरियाली छाई रहती है। मौसम साफ रहता है, जिससे आप दूर तक फैले हिमालय पर्वतों का अद्भुत दृश्य देख सकते हैं। यह समय फोटोग्राफी और हनीमून कपल्स के लिए बेस्ट होता है।

दिसंबर से फरवरी के बीच रानीखेत में कड़ाके की सर्दी पड़ती है, और पूरा क्षेत्र शीतलहर की चपेट में होता है।
इस मौसम में तापमान कभी-कभी 0°C या उससे भी नीचे चला जाता है, जिससे वातावरण बर्फीला और बेहद ठंडा हो जाता है।

यदि आप बर्फबारी, ठंडी हवाओं और बर्फ से ढकी वादियों का प्राकृतिक सौंदर्य नज़दीक से महसूस करना चाहते हैं, तो यह समय आपके लिए बेहद मनभावन और यादगार साबित हो सकता है।

रानीखेत कैसे पहुंचे?

रानीखेत भारत के उत्तराखंड में एक सुंदर हिल स्टेशन है, जो सड़क, रेल और हवाई मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। रानीखेत पहुँचने के लिए आपके पास तीन विकल्प मौजूद है। आप अपने बजट और समय के अनुसार रानीखेत पहुँचने के लिए विकल्प चुन सकते है।

प्रमुख शहरों से रानीखेत की दुरी:

शहरदूरी
दिल्ली360 किमी
नैनीताल60 किमी
हल्द्वानी85 किमी
काठगोदाम80 किमी
देहरादून340 किमी
अल्मोड़ा50 किमी
पंतनगर110 किमी

सड़क मार्ग द्वारा रानीखेत कैसे पहुंचे?

दिल्ली, चंडीगढ़, देहरादून, हरिद्वार जैसे शहरों से आप आसानी से सड़क मार्ग द्वारा रानीखेत पहुंच सकते हो। यहाँ का सड़क मार्ग काफी सुविधा जनक है। आप बस, कार, बाइक के द्वारा आसानी से यहाँ तक पहुँच सकते हो।

अगर आप रानीखेत दिल्ली से आ रहे हो तो आपको 8-10 घंटे का समय लग सकता है। वही नैनीताल और काठगोदाम से आपको 2 से 3 घंटे तक का समय लग सकता है।

अगर आप दिल्ली से रानीखेत बस में आना चाहते हो तो आपको 500 से 600 रूपये तक टिकट की लागत लग सकती है।

ट्रैन मार्ग द्वारा रानीखेत कैसे पहुंचे?

काठगोदाम रानीखेत से सबसे पास का रेलवे स्टेशन है। रानीखेत से काठगोदाम की दुरी लगभग 80 किलोमीटर है। काठगोदाम रेलवे स्टेशन से आप टैक्सी या बस के द्वारा रानीखेत पहुँच सकते है।

काठगोदाम से रानीखेत अगर आप प्राइवेट टैक्सी में जाते हो तो आपको 3000 रुपये जितनी लागत लग सकती है, वहीं पर शेयर्ड टैक्सी में आपको 200 से 250 रुपये और बस में 100 से 150 रुपये जितना खर्चा होगा।

हवाई मार्ग द्वारा रानीखेत कैसे पहुंचे?

अगर रानीखेत आप फ्लाइट से जाना चाहते हो तो निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर हवाई अड्डा है, जो रानीखेत से लगभग 110 किमी दूर स्थित है। हवाई अड्डे से, आप टैक्सी किराए पर ले सकते हैं या रानीखेत के लिए बस ले सकते हैं।

दिल्ली से पंतनगर की फ्लाइट है, जो देहरादून में एक घंटे रुकती है इसलिए रानीखेत आने के लिए फ्लाइट अच्छा विकल्प नहीं है।

रानीखेत में रुकने की जगह

रानीखेत एक लोकप्रिय और शांत हिल स्टेशन है। यहाँ पर हर साल कई लोग घूमने के लिए आते है। इसलिए रानीखेत में रुकने के लिए सभी प्रकार के विकल्प मौजूद है।

हमने निम्नलिखित कुछ होटल के नाम आप के साथ शेयर किये है, जो आपको मददगार साबित होंगे।

  • कुमाऊँ फॉरेस्ट रेस्ट हाउस (Kumaon Forest Rest House)
  • क्वीन्स रेस्टोरेंट (Queen’s Restaurant)
  • होटल मून (Hotel Moon)
  • रानीखेत इन (Ranikhet Inn)
  • वेस्ट व्यू होटल (West View Hotel)
  • होटल पारिजात (Hotel Parijat)
  • हिमालयन व्यू रिज़ॉर्ट (Himalayan View Resort)
  • होटल शिवा (Hotel Shiva)
  • रानीखेत क्लब (Ranikhet Club)
  • होटल पाइन व्यू (Hotel Pine View)

रानीखेत में कैसे घूमे?

रानीखेत एक सुंदर हिल स्टेशन है। हो सके तो आप रानीखेत में पैदल घूमे और वहां की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद जरूर लीजिये।

रानीखेत घूमने के लिए आपको लोकल टैक्सियाँ और कैब्स आसानी से मिल जाएँगी और जिसके लिए आपको पुरे दिन का ₹1500-₹3000 जितना चार्ज लग सकता है। स्थानीय बसें और शेयरिंग जीप का विकल्प भी आपको मिल जायेगा। ₹800-₹1500 प्रति दिन के हिसाब से बाइक रेंटल भी कुछ जगहों पर उपलब्ध है।

रानीखेत घूमने का खर्चा

किसी भी जगह पर घूमने का खर्चा आप किस प्रकार यात्रा करते हो, कितने दिनों के लिए यात्रा करते हो, वहां ठहरने की व्यवस्था, भोजन, और अन्य व्यक्तिगत खर्च पर निर्भर करता है।

अगर आप भारत के किसी भी कोने से रानीखेत घूमना चाहते हो तो आपको पहले दिल्ली तक आना पड़ेगा। दिल्ली से रानीखेत की दूरी लगभग 350 किलोमीटर है।

आप सड़क मार्ग से बस द्वारा यात्रा करते हो तो बस का किराया लगभग ₹500 से ₹1000 तक हो सकता है, जबकि कार से जाने पर ईंधन और टोल मिलाकर खर्च बढ़ सकता है।

रानीखेत में रुकने के कई विकल्प मौजूद है। अगर आप सामान्य होटलों में रुकते हो तो प्रति रात का किराया ₹1000 से ₹2000 तक हो सकता है, जबकि लक्ज़री होटलों में यह ₹3000 या उससे अधिक हो सकता है।

भोजन और अन्य खर्च मिलाकर आपको प्रतिदिन 500 से 1000 रुपये तक की लागत लग सकती है।

रानीखेत में घूमने के लिए प्रति व्यक्ति एक दिन के यात्रा का खर्चा लगभग 1500 रुपये से लेकर 2000 तक हो सकता है। जिसमें रहने, खाने और घूमने का खर्चा शामिल है।

रानीखेत घूमते समय साथ में क्या रखें?

रानीखेत घूमते समय आप निम्नलिखित चीजें अपने पास जरूर रखें ताकि आप की यात्रा सरल हो सके।

  • फ़ोन और चार्जर
  • आईडी प्रमाण (पासपोर्ट, आधार कार्ड या लाइसेंस)
  • डेबिट/क्रेडिट कार्ड
  • व्यक्तिगत दवा
  • पानी की बोतल
  • सनस्क्रीन और लिप बाम
  • बैंड-एड्स, एंटीसेप्टिक्स और पेनकिलर मेडिसिन
  • धूप का चश्मा और टोपी ( खासकर गर्म मौसम के दौरान )
  • सिर ढकने के लिए स्कार्फ या शॉल
  • कैमरा
  • छोटा बैग या बैकपैक
  • नोटबुक और पेन
  • आरामदायक जूते

निष्कर्ष

चाहे आप रोमांच पसंद करते हों, शांति चाहते हों या आध्यात्मिक अनुभव की तलाश में हों, रानीखेत आपको निराश नहीं करेगा। इस आर्टिकल में हमने आपको रानीखेत में घूमने की जगह (Ranikhet Me Ghumne ki Jagah), रानीखेत की यात्रा से जुड़ी कई आवश्यक सभी जानकरी डिटेल में बताई है। आशा करते है की यह आर्टिकल आपको रानीखेत की यात्रा करने में मददगार साबित होगा।

अगर आप के पास इस आर्टिकल के सम्बंधित कोई भी सुझाव हो तो हमें कमेंट करके जरुर बताएं। हम उसे जल्द की अपडेट करेंगे। आर्टिकल पसंद आया हो तो उसे अपने सोशल मीडिया पर शेयर जरूर करें ताकि रानीखेत जाने वालों को यह आर्टिकल उपयोगी हो सके।

यह भी पढ़ें :

कसौली में घूमने की जगह, दर्शनीय स्थल, खर्चा, जाने का समय

औली में घूमने की जगह, दर्शनीय स्थल, खर्चा और जाने का समय

Leave a Comment